योगेश्वर भगवान श्री कृष्ण ( Yogeshwar Bhagwan Shree Krishna ) या रासलीला वाले कान्हा? सच जो गायब कर दिया गया

Yogeshwar Bhagwan Shree Krishna Janmashtami Special : अगस्त में एक बार फिर हम लोग योगेश्वर श्री कृष्ण जन्माष्टमी मना रहे हैं. वही भगवान श्री कृष्ण लीलाधर, रसिक, गोपी प्रेमी, कपड़े चोर, माखन चोर और न जाने क्या क्या लिखा. जिससे उनका मनोरथ तो पूरा हो गया, लेकिन कहीं न कहीं योगिराज भगवान श्री कृष्ण का वास्तिक चरित्र खो सा गया.

Yogeshwar Bhagwan Shree Krishna ( योगेश्वर भगवान श्री कृष्ण )

कृष्ण इस संसार के महायोगी थे. जिसका कोई भी दूसरा उदाहरण नहीं है. योगेश्वर भगवान श्री कृष्ण ने योग और वेद की शिक्षा उज्जैन स्तिथ महर्षि संदीपनी के आश्रम में रहकर हासिल की थी. भले ही पुराणों में श्री कृष्ण के चरित्र से छेड़ छाड़ की गयी हो उन्हें रसिक, रासलीला रचाने वाला माखन चोर बताया गया. लेकिन सच ये है की मानव योनी में अपने मर्जी से आये परमेश्वर के अंश भगवान श्री कृष्ण का व्यक्तिव इतना विराट और अनूठा है. अनूठेपन की पहली बात यह है की कृष्ण हुए तो अतीत में लेकिन वे आज भी धराधाम का भविष्य है.

योगेश्वर श्री कृष्ण जन्माष्टमी इस संसार में इकलौते हैं जो इस धर्मं की परम गहराइयों और उचाईयों पर होकर भी गंभीर नही है, उदास नही हैं, रोते हुए नही हैं. वर्ना जीसस हों, बुद्ध हों, महावीर हों या मुहम्मद, संसार में सभी दुखी नज़र आये. यहाँ तक की कृष्ण और सनातन धर्मं को छोड़ दें तो अतीत का सारा पंथ उदास आसुओं से भरा हुआ है. योगेश्वर श्री कृष्ण अकेले ऐसे हैं जो हमेशा से हँसते हुए पाये गए.

जीसस(Jesus) के सम्बन्ध में कहा जाता है की वो कभी हँसे नही. शायद जीसस का ये उदास व्यतित्व और सूली पर लटका उनका शरीर ही दुखी लोगों के लिए बहुत आकर्षण का कारण बन गया. महावीर या बुद्ध बहुत गहरे अर्थों में जीवन के विरोधी हैं. कोई और जीवन है. कोई और लोक, कोई और परलोक है. कोई और मोक्ष है. ये कहते कहते चले गये. लेकिन कृष्ण अकेले ही पुरे जीवन को ही स्वीकार लेते हैं. सभी लोगों को आत्मसात कर लेते हैं. कृष्ण दुःख को और सुख को भी स्वीकार लेते हैं.

मात्रास्पर्शास्तु कौन्तेय शीतोष्णसुखदुःखदाः। 
आगमापायिनोऽनित्यास्तांस्तितिक्षस्व भारत।।2.14।।
अर्थात- किस भ्रम में पड़ रहे हो पर्थ की वर्तमान जीवन ही सम्पूर्ण जीवन है? और तमाम जीवन सम्पूर्ण जीवन नही है पार्थ. हम थे भी, हम हैं भी और हम होंगे भी.अब रहा ये सुख दुःख तो इनका क्या है ये तो ऋतुओं के भांति हैं आते जाते रहते हैं. हे कुंती पुत्र जो सुख और दुःख को सामान समझे और उनसे प्रभावित हुए बिना ही उन्हें झेल जाये वही स्तिथ प्रज्ञ है.  और वही मोक्ष का अधिकारी भी है. 

शायद यही कारण है की कृष्ण को छोड़कर पूरी मानवता के इतिहास में कोई नही है जो जन्म लेते ही हंसा हो. सभी बच्चे पैदा होने पर रोते हैं. सिर्फ एक बच्चा मनुष्य जाति में जन्म लेकर हंसा है. यह इस बात का सूचक है की कृष्ण हंसती हुई मनुष्यता को स्वीकार करते हैं. इसलिए कृष्ण ही भविष्य का भारत हैं. हजारों

सालों के इतिहास में मुश्किल से 5-10 लोग ही हैं जिन्हें हम कह सकते हैं की उन्होंने परमात्मा को पा लिया. एक अर्थ में यह लड़ाई सफल नही हुई क्यूंकि अरबों खरबों लोग बिना परमात्मा को पाये मरे हैं. ये दुःख की बात है. इससे साफ़ पता चलता है की कहीं कोई बुनियाद भूल थी. नए नए मत, साम्प्रदायों ने दुनिया को परमात्मा से दूर कर दिया. लेकिन कृष्ण का दर्शन एक मात्र ऐसा दर्शन है जिससे की मनुष्य परमात्मा को पा सकता है.

नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः।  
न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुतः ॥ 
अर्थात- आत्मा को न शस्त्र काट सकते हैं, न आग उसे जला सकती है। न पानी उसे भिगो सकता है, न हवा उसे सुखा सकती है। (यहां भगवान श्रीकृष्ण ने आत्मा के अजर-अमर और शाश्वत होने की बात की है।) 

इसी कारण श्री कृष्ण भगवान की जीवनी एक बार नही लिखी गयी. शायद सदी में बार बार लिखी जाती है, हजारों लोग लिखते हैं. हजारों व्याख्यायें होती चली जाती हैं. फिर धीरे धीरे श्री कृष्ण की मानव जीवन को पुजारियों के ब्यापार के अनुरूप हो जाता है. संस्थान के दान पेटियों में कान्हा बन जातें हैं. वो राधा के प्रेमी हो जाते हैं. वो रासलीला के श्री कृष्ण बन जाते हैं. वो गोपियों के भी कान्हा हो जाते हैं. फिर वो गीता के कृष्ण कहाँ रह जाते हैं. जो मानवता को कर्म योग का रास्ता दिखाते हैं.

इसलिए पुराणों के चश्मे से श्री कृष्ण को नहीं समझा जा सकता. क्युकी वहां सिर्फ मक्खन के चोरी के आरोपों के अलावा कुछ नही मिलेगा.

ISKCON के मंदिरों में नाचने से श्री कृष्ण को नही पाया जा सकता. इसके लिए अर्जुन बनना पड़ेगा तभी योगेश्वर श्री कृष्ण मिल पाएंगे. जिसे सत्य असत्य का ज्ञान है वही परमात्मा के निकट है. श्री कृष्ण जैसा कोई दूसरा उदाहरण पैदा नही हुआ.

अगर स्त्री जाति के सम्मान की बात की जाये तो श्री कृष्ण जैसा दूसरा कोई नही मिलेगा. बुद्ध ने स्त्री को दीक्षित करने से मना किया. महावीर ने तो उसे मोक्ष के लायक ही नही समझा. मोहम्मद ने स्त्री को पुरषों की खेती कहा तो जीसस ने उनके बीच प्रवचन करने से मना कर दिया. लेकिन इसके विपरीत श्री कृष्ण ने भूलकर भी किसी स्त्री का अपमान नहीं किया. जरूर उस समय स्त्री जाति श्री कृष्ण का सम्मान करती रही होंगी. लेकिन इस झूठ के ठेकेदारों ने स्त्री का अपमान करने के लिए योगीराज के महान चरित्र को रासलीला से जोड़ दिया.

जो समझने की बात थी उसे कोई क्यूँ समझेगा भला कहाँ रासलीला और कहाँ युद्ध का मैदान. उनके बीच कोई तालमेल नहीं है. इसलिए श्री कृष्ण के एक एक चेहरे को सभी ने पकड़ लिया. जिसे जो चेहरा अच्छा लगा उसे छांट लिया. बाकि के चेहरों को इंकार कर दिया. जबकि कृष्ण एक ही है. उनका एक ही रूप है योगेश्वर श्री कृष्ण. इसलिए भविष्य के सन्दर्भ में श्री कृष्ण का बहुत मूल्य है. और हमारा वर्तमान रोज उस भविष्य के करीब पहुचता है जहाँ कृष्ण की प्रतिमा निखरती जाएगी. और एक हँसता हुआ धर्मं और नाचता हुआ धर्मं जल्दी निर्मित होगा.

एक नये युग का आरम्भ होगा. दुनिया के लिए श्री कृष्ण की बड़ी सार्थकता है. जब सबके मूल्य फीके पड़ जायेंगे और द्वन्द भरे सब मत और संप्रदाय पीछे अँधेरे में डूब जायेंगे. या इतिहास की राख उन्हें मिटा देगी वो ख़त्म हो जायेंगे. तब भी श्री कृष्ण जी का अंगार चमकता हुआ रहेगा. तब भी सनातन धर्म का ध्वज लहराता रहेगा.

Source: Rang De Basanti

The mystery of Netaji’s Death : नेता जी सुभाषचंद्र बोस की मृत्यु (18 अगस्त 1945) की वजह विमान दुर्घटना – सच या झूठ

charvixnews

Recent Posts

ये 5 फेस पैक आपकी स्किन प्रोब्लेम्स के लिए

आज हम आपके लिए लाये हैं 5 ब्यूटी फेस पैक जो कि सबसे अच्छा फेस… Read More

1 year ago

ChatGPT क्या नहीं कर सकता- Limitation of ChatGPT

ChatGPT क्या नहीं कर सकता (Limitation of ChatGPT): हाल के वर्षों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस(Artificial Intelligence)… Read More

2 years ago

President Election 2022 : कैसे होता है राष्ट्रपति चुनाव ?

President Election 2022 : भारत के वर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल जुलाई को ख़त्म… Read More

2 years ago