Reason behind Russia and Ukraine War 2022 : रूस ने यूक्रेन पर हमला कर दिया है, यूक्रेन को तीन तरफ से घेरकर रसिया लगातार अपने हथियारों से दुनिया को अपनी ताकत का एहसास करा रहा हैं, रुसी फाईटर जेट यूक्रेन में लगातार बमबारी कर रहे हैं वही रुसी टैंक आग उगल रहे हैं . रुसी सैनिक, यूक्रेनी सैनिको को पीछे धकलते हुए यूक्रेन की राजधानी कीव की तरफ बढ़ रहे है, अमेरिका की मानें तो रूस राजधानी कीव से मात्र 15की.मी. दूर हैं.
यूक्रेन और रूस में लड़ाई क्यों हो रही है? एक ज़माने में सोवियत संघ का हिस्सा रहे दोनों मित्र देश आखिर अलग अलग होने के बाद आखिर क्यों एक दुसरे के दुश्मन बन गयें . जिसकी वजह से आज दुनिया में तीसरे विश्व युद्ध का खतरा मंडरा रहा है. आइये जानते हैं रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण-
नाटो (नॉर्थ अटलांटिक ट्रिटी ऑर्गेनाइजेशन या अलाइंस) इस संगठन की शुरुआत 1949 में सोवियत संघ को रोकने के लिए हुयी थी.शुरुआत में इसमें 12 देश थे आज नाटो संगठन में अमेरिका,ब्रिटेन,फ्रांस, पोलैंड समेत कुल 30 देश हैं. नाटो में शामिल देशो में से अगर किसी एक देश पर भी कोई तीसरा देश आक्रमण करता है तो नाटो के सारे देश मिलकर उसका जबाब देंगे. 1991 मे सोवियत संघ के विघटन के बाद से इसके कई सारे देशों ने नाटो को ज्वाईन कर लिया. 2013 तक रूस और यूक्रेन के बीच सबकुछ ठीक था उस समय यूक्रेन के राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच थे जिन्हें रूस का समर्थन प्राप्त था.
लेकिन 2013 के नवम्बर में यानुकोविच का अमेरिका, ब्रिटेन के समर्थनकारीयों द्वारा विरोध होने लगा जिसकी वजह से 2014 फ़रवरी में यानिकोविच को सत्ता से हटना पड़ा और रूस में जाकर शरण लेनी पड़ी .उसके बाद से यूक्रेन में रूस का प्रभाव कम होने लगा और यूक्रेन भी नाटो को ज्वाईन करने का प्रयास करने लगा. जिसकी वजह से रूस को ये डर लगने लगा की अगर यूक्रेन नाटो ज्वाईन करता है तो उसके दुश्मन देशों की सेना उसके दरवाजे के पास खड़ी हो जायेंगी. क्यूंकि रूस यूक्रेन के साथ बहुत बड़ा बॉर्डर शेयर करता है जिसमे स्थलीय और समुद्रीय दोनों तरह के बॉर्डर एरिया हैं.और रूस ये चाहता है की यूक्रेन कभी भी नाटो ज्वाईन ना करे.
2014 के बाद से ही रूस और यूक्रेन के बिच तनाव और टकराव बढता गया ,26 फ़रवरी 2014 हथियारबंद लोगो ने क्रीमिया के सरकारी जगहों पर कब्जा कर लिया. क्रीमिया की वैसे तो अपनी संसद थी, अपना कानून था लेकिन उसकी विदेश निति यूक्रेन की गवरमेंट के आधीन कम करती थी .जिसके बाद 2 मार्च को को रूस ने अपनी सेना क्रीमिया में भेज दिया जिसके बाद वहाँ जनमत संग्रह हुआ जिसमे क्रीमिया के लोगो ने रूस के पक्ष में वोट किया और 14 मार्च को क्रीमिया रूस का हिस्सा बन गया .
लेकिन पूरी दुनिया ने इसे क्रीमिया पर रूस का जबरदस्ती कब्ज़ा बताया. दरअसल क्रीमिया रूस के लिए बहुत महत्वपूर्ण था क्यूंकि क्रीमिया में स्थित बंदरगाह ही एक ऐसा बंदरगाह था जिससे रूस 12 महीने व्यपार कर सकता था. जिसके बाद से रूस और यूक्रेन के बीच तनाव और ज्यादा बड़ा हो गया जिसको रोकने के लिए पश्चिमी देशो ने प्रयास किया . 2015 में फ्रांस और जर्मनी ने बेलारूस की राजधानी मिन्स्क में रुस और यूक्रेन के बीच एक शांति समझौता कराया
रूस और यूक्रेन के बीच विवाद की एक बड़ी वजह रूस से यूरोप तक जाने वाली गैस पाइपलाइन है दरअसल रूस यूरोप का सबसे बड़ा गैस सप्लायर है . रूस से यूरोप तक जाने वाली पाइपलाइन फ़िलहाल यूक्रेन से होकर गुजराती है जिसके लिए रूस को ट्रांजिट फीस के रूप में यूक्रेन को सलाना 3 अरब डॉलर की मोटी रकम देनी पड़ती हैं . जो की यूक्रेन के बजट की 4 फीसदी है. इस पैसे को बचाने के लिए रूस ने एक वैकल्पिक पाइपलाइन बाल्टिक सागर से जर्मनी तक बिछाने का फैसला लिया जिसे नॉर्ड स्ट्रीम 2(Nord Stream) नाम दिया गया.
जिसे 2019 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था लेकिन इसको लेकर अमेरिका ने इस प्रोजेक्ट पर प्रतिबन्ध लगा दिया जिसकी वजह से इसके फंडिंग में काफी कमी आई. इसको लेकर यूरोप में भी दो फाड़ हो गया. कुछ देश जैसे पोलैंड, लिथुँआनिया का कहना हैं की इससे रूस का का प्रभाव बाल्टिक सागर बाद जायेगा और क्रीमिया की तरह ही उनके कुछ हिस्से पर भी कब्ज़ा कर सकता है.
इसको लेकर रूस चाहता है की अगर यूक्रेन का कुछ हिस्सा उसके प्रभाव में आ जाएँ तो रूस का 3 अरब हर साल बचेगा. ये कुछ प्रमुख वजहें हैं जिसकी वजह से रूस ने यूक्रेन के ऊपर हमला किया. हम भारत की बात करे तो अबतक भारत का रुख इस युद्ध में न्यूट्रल रहा हैं भारत ने नाहीं रूस का समर्थन किया नाही पश्चिमी देशो के संगठन का भारत का कहना हैं की युद्ध किसी मसले का हल नहीं हो सकता. दोनों देशो को संयम के साथ बातचीत के द्वारा किसी निर्णय पर पहुँचना होगा.
24 February 2022 को रूस ने युक्रेन के बॉर्डर्स को लांघते हुए युक्रेन पर आक्रमण कर दिया.
रूस और युक्रेन की लड़ाई की कुछ प्रमुख वजहों में नाटो का बिस्तार, युक्रेन का अमेरिका की तरफ बड़ता झुकाव, सामरिक और व्यापारिकहित सामिल हैं.
अभी तक के रूस के डाटा के अनुसार 1400 रुसी सैनिक मारे गए है जबकि अमेरिकी और युक्रेन 100000+ सैनिक मारे गए हैं. लेकिन ये सारे अभी तक के अनुमानित डाटा हैं.
युक्रेन के ऑफिसियल के डाटा के अनुसार 4000+ और बाकि अलग अलग डाटा के अनुसार 4500+ सैनिक मारे गए हैं.
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