क्या है IT Act For Social Media controversy ? 3 महत्वपूर्ण कानून, जिस पर केंद्र सरकार और सोशल मीडिया कंपनियाँ हैं आमने-सामने
इन दिनों सरकार और सोशल मीडिया कंपनियाँ नए आईटी एक्ट (IT Act for Social Media) को लेके आमने सामने हैं | सरकार कह रही है की नए कानून को मानने से सोशल मीडिया कंपनियाँ इनकार कर रही हैं| ये कंपनियाँ भारत में बडा व्यापार करने के बावजूद भी यहाँ के कानून को मानने को तैयार नही हैं | वहीं ये कंपनियाँ अपने यूजर्स की प्राईवेसी की दुहाई दे रही हैं|
आईये जानते हैं कि पूरा विवाद क्या है और क्या है ये नया आईटी एक्ट (New IT Act for Social media) ?
क्या है नया आईटी एक्ट (New IT Act for Social media) जिस पे हो रहा है विवाद ?
IT Act for Social media: नए नियमों के तहत कम्पनीयों को यूजर्स की शिकायतों की जाँच और उनसे निपटने का एक सिस्टम बनाना होगा | जिसके लिए देश में अधिकारी नियुक्त करने होंगे किसी आपत्तिजनक कंटेंट ,महिलाओं से छेड़छाड़, नग्नता या ऐसे किसी भी कंटेंट को 36 घंटे के अंदर हटाना होगा |और सरकार को इसकी रिपोर्ट भी देनी होगी |
नए आईटी एक्ट (new IT Act for Social Medial) के तहत जो सबसे महत्वपूर्ण है, इसमें इन कम्पनीयों को यूजर्स की शिकायतों के लिए एक सिस्टम बनाना होगा जिसके लिये तीन अधिकारियों की नियुक्ति करनी होगी|
इसमें पहला अधिकारी मुख्य अनुपालन अधिकारी होगा सरकार ने कहा है की इस पद पे जिस अधिकारी की नियुक्ति होगी वो ये सुनिश्चित करेगा की लोगों की शिकायतों पे कानून के दायरे में ही कदम उठाये जाये| ये ऑफिसर भारत में रहकर ही काम कर सकेगा|
दूसरा अधिकारी होगा नोडल कांटेक्ट अधिकारी इस पद पर जिस अधिकारी की नियुक्ति होगी वो अधिकारी भारत की जाँच एजेन्सीस और मंत्रालयों के संपर्क में भी रहेगा| ये कंपनी और सरकार के बीच एक पुल की तरह कम करेगा|
तीसरा पद शिकायत अधिकारी का है यह अधिकारी ये सुनिश्चित करेगा की यूजर्स की शिकायतों पर 24 घंटे के अन्दर कार्यवाही की जाये और 15 दिनों के अन्दर शिकायत का निवारण हो|
इन सबके बीच जिस पर सबसे ज्यादा बवाल मचा है वो है यूजर ट्रेसेब्लिटी (user traceability)|
क्या है यूजर ट्रेसेब्लिटी (User Traceability) ? जिस पर मचा है बवाल
भारत सरकार के इस आदेश के अनुसार एक महत्वपूर्ण निर्देश कंपनीयों के लिए ये है की उन्हें यूजर की ट्रेसेब्लिटी सरकार और जाँच एजेंसीयो को उपलब्ध करनी होगी| इसका मतलब ये है की अगर किसी यूजर ने कोई गैर कानूनी या खतरनाक जानकारी इन मीडिया प्लेटफार्म पर शेयर की हो और ये जानकारी फ़ैल गयी हो तो कंम्पनीयों को ये बताना होगा की वो पहला आदमी कौन था जिसने ये मेसेज शेयर किया है|
हालाँकि सरकार ने ये स्पष्ट किया हैं की इसकी जरूरत केवल तभी होगी जब देश की सुरक्षा, संप्रभुता, आतंकवाद, राज्य की सुरक्षा, दुसरे देशो के साथ संबंधो, या ऐसे किसी गंभीर अपराध से जुडा मामला होगा या दुष्कर्म के मामलो में या यौन उत्पीडन कंटेंट, बाल यौन शोषण से जुडी कोई कंटेंट होने पर, या ऐसे किसी अपराध को रोकने या उसे सजा दिलाना होगा|
नए आईटी एक्ट पर क्या है कंपनियों की दलील
इस नए एक्ट को लेकर कम्पनीज़ का कहना है की अगर वो इस एक्ट को मानती है तो उन्हें अपने यूजर्स की प्राइवेसी के साथ समझौता करना पड़ेगा| उनका तर्क यह है की अगर वो ऐसा करती है तो उन्हें यूजर्स का डेटा ज्यादा इक्कठा करना पड़ेगा इससे लोगो की प्राइवेसी को खतरा हो सकता है| उनका कहना है की अगर वो ऐसा करती है तो उनको हर देश के लिए एक अलग प्लेटफार्म बनाना पड़ेगा|
एक दिग्गज कंपनी व्हाट्सएप्प जो की फेसबुक की चाइल्ड कंपनी है ने दिल्ली हाई कोर्ट में भारत सरकार के खिलाफ मुकदमा दायर किया जिसमें उसने सुप्रीम कोर्ट द्वारा 2017 में दिये गए एक फैसले को आधार बनाया जिसमें कोर्ट ने निजता के आधार को मौलिक आधार बताया था| लेकिन भारतीय संविधान ऐसी किसी स्थिति में सरकार को कार्यवाही करने का अधिकार देता है जो किसी गंभीर अपराध से जुडा हो|
कंपनी का कहना है की अगर उसे फर्स्ट ओरिजिनेटर के बारे में सरकार को बताना होगा तो उसके अपनी एंड टू एंड एन्क्रिप्सन का उलंघन होगा| जबकि वो खुद किसी के मेसेज को नहीं पढ़ सकता| इसलिए ऐसा करने पर यूजर्स की प्राइवेसी के साथ समझौता करना पड़ेगा|
क्या है इस पर भारत सरकार का तर्क
कंपनी की इस बात को भारत सरकार ने साफ किया है की यूजर ट्रेस्ब्लिटी का ये मतलब नही है की हम सभी यूजर्स का डाटा मांग रहे है ये एक झूठ है| बात ये है की अगर कोई गंभीर अपराध या आतंकवादी से जुड़ी कोई गतिविधि या देश की सुरक्षा से जुडा कोई मामला हो तो केवल ऐसे ही मामलो में कंपनी को जानकारी साझा करनी होगी| इससे कंपनियों के काम-काज या यूजर के डेटा पर कोई असर नही पड़ेगा |
और भारत कोई पहला देश नहीं है जो ऐसी जानकारी मांग रहा है न्यूजीलैंड ,ऑस्ट्रेलिया ,ब्राजील ,कनाडा ,अमेरिका ,ब्रिटेन भी ऐसी जानकारी की मांग कर चुके है|जुलाई 2019 में अमेरिका, जापान, ब्रिटेन आस्ट्रेलिया ,न्यूजीलैंड, कनाडा ने साझा बयान जारी करके कहा था की कंपनियों को फर्स्ट ओरिजिनेटर की जानकारी देनी होगी|
कोई भी कंपनी प्राइवेसी के नाम पे सरकार को काम करने से नही रोक सकती | जिस देश में कंपनी काम करती है उस देश का कानून उसे मानना पड़ेगा|कोई भी कंपनी कानून से बड़ी नही हो सकती|
क्या अब तक आपका डेटा सुरक्षित था?
कंपनीज जिस यूजर डाटा प्राइवेसी की दुहाई दे रही है उससे ये सवाल उठना लाजिमी है की क्या अब तक यूजर का डाटा सुरक्षित था| कई रिपोर्ट्स ये कहती है की यूजर का डेटा कभी भी पूरी तरह सुरक्षित नही था| फेसबुक पे आरोप लगा था की उसने ब्रिटेन की एक कंसल्टिंग फर्म को 5 करोंड़ लोगो का डेटा बेचा था जिसे की कई देशो में चुनावों के दौरान उसे उपयोग में लाया गया| भारत की जाँच एजेंसी सीबीआई ने इस फर्म के खिलाफ इसी साल केस दर्ज किया था |
व्हाट्सएप्प के भी एंड तो एंड एन्क्रिप्सन टेक्नोलॉजी पर भी कई बार सवाल उठे है |और इसने भी अपनी नयी पालिसी के तहत यूजर्स का डेटा अपनी पैरेंट कंपनी फेसबुक को मार्केटिंग और विज्ञापन के लिए साझा किया था, जिसका मामला कोर्ट में चल रहा है |
अब तक क्या हुआ ?
अब तक के ना नुकुर के बाद गूगल, फेसबुक, व्हाट्सप्प जैसी बड़ी कम्पनीज़ ट्विटर को छोड़कर सबने अपना सिस्टम अपडेट करना शुरू कर दिया है| ट्विटर ने अभी तक अपना अड़ियल रवैया अपनाया हुआ है| सरकारी सूत्रों के मुताबिक गूगल ,फेसबुक जैसे दिग्गज कंपनीस ने नए आईटी एक्ट के तहत सरकार के साथ जानकारी भी साझा की है| ट्विटर को भारत सरकार की तरफ से नए नियमों का पालन करने का अंतिम नोटिस दिया जा चूका है अगर ट्विटर ये करने में बिफल होता है तो उसके ऊपर आईटी अधिनियम 2000 की धरा 79 के तहत उपलब्ध देयता से छुट वापस ले ली जाएगी और भारत के अन्य कानूनों के तहत कार्यवाही की जाएगी |
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