Best PM of India : दोस्तों आज के समय में किसी भी देश के लिए एक अच्छे लीडर का होना बहुत जरुरी होता है और एक अच्छा लीडर बनना इतना आसान भी नही होता. एक अच्छा लिडर वही होता है जो की पुरे देश को साथ लेकर चले जिसके रहते हुए देश तरक्की करे आगे बड़े और पूरी दुनिया उस देश को सम्मान से देखे उसकी बात सुने. लीडर ऐसा होना चाहिए जो की लोगो के बिच लोकप्रिय हो जिसके अन्दर निर्णय लेने की क्षमता हो और कोई भी कठिन से कठिन निर्णय लेने में डरता न हों.
जिसके लिए देश की सुरक्षा सबसे पहले हो और देश को आगे ले जाना ही उसकी पहली प्राथमिकता हों. जो दुनिया के किसी भी कोने में किसी भी प्लेटफार्म पर खड़े होकर अपने देश को और अपने देशवासियों कों मजबूती के साथ प्रस्तुत कर सकें. तो आईये जानते हैं अपने देश भारत के कुछ ऐसे प्रधानमंत्री के बारे में जिन्होंने अपने 5 साल पुरे किये और जो देश की जनता के बीच काफी लोकप्रिय रहें और कुछ बेहद कमजोर और अलोकप्रिय साबित हुए.
अगर बात की जाये भारत के सबसे लोकप्रिय मजबूत और ताकतवर प्रधानमंत्री की तो सबसे पहला नाम वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का नाम सबसे आगे आता हैं. 2014 के मुख्य चुनावों में भारतीय जनता ने पिछली सरकार में बड़ते भ्रष्टाचार, घोटालो और आतंकी हमलो से परेशान होकर बड़ा उलटफेर करते हुए नरेन्द्र मोदी को देश का प्रधानमंत्री बनाया.
उसके बाद मोदी ने आते ही एक के बाद एक बड़े बड़े फैसले लेने लगे जिससे की लोगो के दिलो में मोदी की छवि एक मजबूत और निर्णय लेने वाले व्यक्ति के रूप में उभरी. और उनकी छवि राजनीती में भारत के निर्विवाद नेता के रूप में हो गयी. विपक्ष में कोई ऐसा नेता नही है जो उनकी इस छवि तोड़ सके या या उनको टक्कर दे सकें.
नरेन्द्र मोदी जी ने आते ही कठिन निर्णय लेना सुरु किया और उससे कभी घबराए नहीं जैसे की GST(जीसटी), विमुद्रीकरण(Demonetization), उज्ज्वला योजना ,स्वच्छ भारत ,डिजिटल इंडिया ,मेक इन इंडिया ,आयुष्मान योजना, PLI scheme, स्मार्ट सिटी , आत्मनिर्भर भारत ,CAA, Redesigning planning commission into Niti Aayog ,राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 इत्यादी.
आतंकवाद को रोकने के लिए सेना को पूरी छूट देने के साथ सर्जिकल स्ट्राइक जैसा साहसिक कदम उठाना ,आर्टिकल 370 जिसके विरोध में कोई सरकार जल्दी बोलती नहीं थी उसको ख़त्म करना लेह को जम्मू कश्मीर से अलग राज्य बनाना ,जैसे साहसिक निर्णय उनके निडर और साहसिक व्यक्तित्वा को दर्शाता हैं.
मोदी की विदेश नीति सबसे बड़ी मजबूती रही बहुत सारे देश जिनसे हमारे सम्बन्ध निचले स्तर पर चले गये थे उनको मजबूत किया . रूस ,अमेरिका, फ्रांस , ब्रिटेन ,इजरायल ,अरब देश जर्मनी, ब्राजील , जापान जैसे बड़े देशो से आज हमारे संबंध किसी से छुपे नहीं है .
हमारी मजबूत विदेश नीति का ही कमाल था की आर्टिकल 370 हटने के बाद भी कोई भी बड़ा देश हमारे खिलाफ नहीं बोला. पाकिस्तान ने हर छोटे बड़े जगह पर हमे घेरने की कोशिश की लेकिन कुछ नहीं हो सका यहाँ तक की अरब देश जो की पाकिस्तान के सबसे बड़े हितैषी ,माने जाते रहे हैं उन्होंने ने भी भारत के खिलाफ कुछ नहीं बोला.
यही कुछ कारण रहे है की बहुत सर्वे के मुताबिक नरेन्द्र मोदी भारत ही नहीं पूरी दुनिया के सबसे लोकप्रिय नेताओ में गीने जाते रहे हैं. हालाँकि अर्थव्यवस्था के मामलो में मोदी को उतनी लोकप्रियता नहीं मिली.
आयरन लेडी ऑफ़ इंडिया के नाम से मशहूर इंदिरा गाँधी जी ने जवाहर लाल नेहरु के बाद सबसे जायदा दिनों तक प्रधानमंत्री का पद सम्भाला.वह 15 साल 350 दिनो तक प्रधानमंत्री थी. इंदिरा गाँधी भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री और लोगो के बीच बहुत ही लोकप्रिय राजनेत्री थी. उनकी लोकप्रियता का अन्दाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं की कांग्रेस आज भी उनके नाम का इस्तेमाल करती है वोट पाने के लिए . और विपक्षी पार्टिया भी इंदिरा गाँधी पर सामने से हमला करने से बचती है.
और अगर आप युवा है और आप अपने दादा दादी से उनके बारे में पूछेंगे तो वो लोग उनकी लोकप्रियता के बारे बखान करते हैं. यही कारण हैं की आज भी कांग्रेस का प्रासंगिक वोट इदिरा जी के नाम पर ही कांग्रेस को मिलता हैं.
उनके बारे में कहा जाता था की वो एक लोकप्रिय होने के साथ साथ निर्णय लेने में भी माहिर थी एक बार जो वो सोच लेती थी फिर उसको करके ही छोडती थी वो अपने फैसलों से कभी पीछे नहीं हटती थी. इदिरा गाँधी को एक देशभक्त नेता कहा जाता था इनके लिए भारत देश सबसे पहले आता था. उनकी कुछ नीतियाँ जैसे गरीबी हटाओ नीति ,1971 का भारत पाकिस्तान युद्ध , ऑपरेशन ब्लू स्टार ,1974 का परमाणु परिक्षण आदि.
1971 के भारत पाकिस्तान के युद्ध में जब लगभग पूरी पश्चिमी दुनिया पाकिस्तान का साथ दे रही थी उस समय भी इंदिरा जी ने पाकिस्तान पर आक्रमण किया और रूस की सहायता से दुनिया का सबसे बड़ा मिलिट्री आत्मसमर्पण पाकिस्तान की आर्मी से कराया.
पर इंदिरा गाँधी जी के भी भारतीय अर्थव्यवस्था पर लिए गए फैसले बहुत गलत साबित हुए जैसे बड़े पैमाने पर चीजो का राष्ट्रीयकरण करना व्यापार में बहुत प्रतिबन्ध लगाना, लाइसेंस राज लगाना और 1975 में आपातकाल लगाना आदि.
भारत में पहली बार अटल विहारी बाजपेयी जी के नेतृत्व में ही बीजेपी ने सरकार बनाई थी. बाजपेयी जी को एक बहुत ही शांत लेकिन चतुर और ताकतवर नेता माना जाता रहा है बाजपेयी जिनके बारे कहा जाता है की यह एक ऐसे राजनेता थे जिनको की विपक्ष के लोग भी पसंद करते थे . बाजपेयी जी एक बहुत असाधारण और प्रखर वक्ता थे उनको सुनने के लिए लोग धुप बारिश जैसे मौसम में भी खड़े रहते थे. बाजपेयी ने जितने सरल दिखते थे उतने ही बाहरी दुश्मनों के लिए कठोर भी थे.
विदेश नीति, सुरक्षा नीति, अर्थव्यवस्था नीति इन सब क्षेत्रो में उनको महारत हासिल थी. बाजपेयी जी ही ऐसे प्रधानमंत्री थे जिन्होंने भारत की इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने में बहुत मेहनत की थी.उनको पता था की अगर भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाना है तो इंफ्रास्ट्रक्चर का मजबूत होना बहुत जरुरी है. इसके लिए इन्होने सागरमाला, स्वर्णिम चतुर्भुज (Golden Quadrilateral), राष्ट्रीय हाईवे परियोजना , प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना आदि सब शुरू किया. शिक्षा को बढ़ाने के लिए सर्व शिक्षा अभियान चलाया.
देश की सुरक्षा के लिए हथियारों को आधुनिक बनाने का काम शुरू किया उन्होंने पहली बार जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान का नारा दिया . पोखरण में परमाणु परिक्षण सफलता पूर्वक किया बिना किसी देश के प्रतिबंधो की परवाह किये बिना.पाकिस्तान से कारगिल युद्ध जीता. विदेश नीति के तहत ही अमेरिका चीन और पाकिस्तान से रिश्ते सुधारे या कोशिश की कहा जाता है की अगर पाकिस्तान ने कारगिल और 2001 में पार्लियामेंट हमला नहीं किया होता तो आज उसके साथ हमारे रिश्ते बेहतर होते .
मनमोहन सिंह के बारे में हमेशा कहा गया की मनमोहन सिंह एक बढ़िया आदमी थे लेकिन एक गलत पार्टी में थे , दरअसल राजीव गाँधी के बाद से भारतीय राजनीती में बहुत उथल-पुथल मची रही और कांग्रेस कभी पूर्ण बहुमत से सत्ता में नहीं आयी . 2004 में वाजपेयी जी के चुनाव हरने के बाद कांग्रेस गठबंधन करके सत्ता में आई और मनमोहन सिंह भारत के प्रधानमंत्री बने . ये उतने लोकप्रिय प्रधानमंत्री नहीं थे जितने की अभी हमने इससे पहले देखा.
हालाँकि मनमोहन सिंह जी एक बहुत बड़े अर्थशास्त्री थे और उन्होंने कुछ अच्छे फैसले लिए जिससे की भारत की अर्थव्यवस्था को काफी फायदा मिला जैसे की उन्होंने सालो से रुकी भारत और अमेरिका के बीच परमाणु संधि कराया, मनरेगा योजना ,सुचना का अधिकार , शिक्षा का अधिकार ,इन्होने ही पहली बार वाट को लाया ,लाइसेंस राज को खत्म किया ,विदेशी निवेश को बड़े लेवल पे इंडिया के अन्दर लाये.
लेकिन मनमोहन सिंह राष्ट्रिय सुरक्षा और विदेश निति के मामलो में बहुत कमजोर थे इनकी सरकार में भारत में कई आतंकी हमले हुए लेकिन इन्होने कोई बड़ा एक्शन नहीं लिया. विदेशों से हमारे रिश्ते बिगड़ते रहे इनकी सरकार में विदेश निति सबसे निचले स्तर पे थी .
इनकी सरकार में घोटालो और भ्रष्टाचार की हद्द हो गयी थी लेकिन मनमोहन सिंह उनको रोकने में पूरी तारह नाकाम थे हर रोज कोई न कोई घोटाले होते रहते थे. कॉमनवेल्थ घोटाला जिससे हमारे देश की छवि को सबसे जायदा नुकसान हुआ. विदेशी दौरों में यह नहीं समझ में आता था की प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जी है या सोनिया गाँधी. निर्णय लेने की क्षमता इनके अन्दर बिलकुल नहीं थी.
भारत के पहले प्रधानमंत्रीऔर सबसे ज्यादा दिनों तक प्रधानमंत्री रहने वाले नेहरु 16 साल 286दिनों तक भारत के प्रधानमंत्री रहे. लोकप्रियता के मामले में भी ये उस समय सरदार बल्लभ भाई पटेल से बहुत पीछे थे लेकिन गाँधी जी के बहुत नजदीक और युवा नेता होने के कारण इनको पहले प्रधानमंत्री का पद मिला. आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री होने के नाते इनसे लोगो को बहुत जायदा उम्मीदे थी लेकिन लोगो के उम्मीदों पर पूरी तरह से खरा नहीं उतर सके इनके अन्दर निर्णय लेनेकी क्षमता की कमी थी सख्त निर्णय लेने में सक्षम नहीं थे. नेहरु ने बहुत बड़ी बड़ी गलतियां की.
हालाँकि नेहरु ने भी कुछ बहुत अच्छे काम किये आजाद भारत के लिए जिससे देश को फ़ायदा हुआ जैसे जब दुनिया दो हिस्सों में बटी हुयी थी तब नेहरु ने non-alignment policy को चुना जिसका भारत को फायदा मिला और भारत को एक लोकतांत्रिक देश के रूप में पहचान मिली . उन्होंने एम्स (AIIMS) आइआइटी (IIT) की स्थापना की ,जमीदारी को खत्म किया.
लेकिन नेहरु ने कुछ ऐसी गलतिया की जिससे भारत को आज भी बहुत सारी परेशानियाँ झेलनी पड़ती हैं.नेहरु के बारे में कहा जाता है की उन्हें दुसरे देश के नेताओ की लोगो की या दुसरे देश को परखने या समझने की कमी थी जिसका परिणाम हमें 1962 के भारत चीन युद्ध में देखने को मिला जिसमे भारत ही हार हुयी थी . एक तरह नेहरु हिंदी चीनी भाई भाई का नारा दे रहे थे वही चीन ने हमसे हमारा कुछ हिस्सा कब्जा कर लिया जिसमे कैलाश पर्वत भी है.
उन्होंने कभी हथियारों को आधुनिक बनाने का प्रयास नहीं किया तिब्बत पर कभी कोई ठोस निर्णय नहीं ले सके और उनका सबसे ज्यादा गलत निर्णय जो की भारत के लिए अभी तक नासूर बना हुआ है वह हैं कश्मीर मुद्दा. जिसको की नेहरु UN में लेके गये और अह भी माउन्ट बेटन के कहने पर जबकि उस समय आसानी से सैन्य शक्ति द्वारा इसे हल किया जा सकता था.इसीलिए नेहरु कभी एक लोकप्रीय और ताकतवर नेता नहीं बन पाए.
अगर बात करे भारत के सबसे कमजोर प्रधानमंत्री की तो वो राजीव गाँधी को माना जाता है और लोकप्रियता के मामले में भी राजीव गाँधी बहुत पीछे रहते है बाकि प्रधानमंत्री की तुलना में. तो बात आती है की फिर ये प्रधानमंत्री बने कैसे तो इनके प्रधानमंत्री बनने का सबसे बड़ा कारण था इंदिरा गाँधी की हत्या. जिससे इनको देश की जनता का भावात्मक सपोर्ट मिला जिससे यह प्रधानमंत्री बने. इस बात की पुष्टि इसी बात से होती है की इनके कार्यकाल के बाद जब चुनाव हुए तो कांग्रेस को अबतक की सबसे बड़ी हर का सामना करना पडा.
हालाँकि ये बहुत युवा अवस्था में प्रधानमंत्री बने थे इसलिए लोगो को इनसे भी काफी उम्मीदे थी अगर इनके कुछ फैसलों कों जैसे राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 लागू किया और टेलिफोन नेटवर्क को बढ़ावा दिया MTNL की स्थापना की छोड दिया जाये तो ये भारत के सबसे डरपोक और कमजोर प्रधानमंत्री कहे जाते है .
राजीव गाँधी के समय में ही कश्मीर में विद्रोह की शुरुआत हुयी इन्ही के शाशनकाल में कश्मीर से कश्मीरी पंडितो को वहाँ से भगाया गया जिससे वो अपने ही देश में शरणार्थी बन गये ,शाहबानो केश में मुस्लिम वोट बैंक के लिए उच्चतम् न्यायलय के फैसले को बदलने के लिए संविधान में ही बदलाव कर दिया ,बिना मतलब के श्रीलंका के सिविल वॉर में अपनी टांग अडाई ,भोपाल गैस कांड के मुख्य आरोपी को भागने के इनका नाम आया , बोफोर्स घोटाला हुआ ,1984 सिख दंगे हुए जिसमे इन्होने कोई कदम नहीं उठाये और सिंखो को आजतक उसका दर्द होता है . यही सारी वजहों से राजीव गाँधी को भारत का सबसे कमजोर सबसे कम लोकप्रिय और अयोग्य प्रधानमंत्री माना जाता हैं.
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